“ विश्व पुस्तक दिवस “
प्रतिवर्ष 23 अप्रैल को पुस्तक दिवस मनाया जाता है ।संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन के द्वारा पढ़ने प्रकाशन और कॉपीराइट को बढ़ावा देने हेतु प्रत्येक साल 23 अप्रैल की निर्धारित तिथि को विश्व पुस्तक दिवस का आयोजन किया जाता है।विश्व साहित्य के लिये 23 अप्रैल एक महत्वपूर्ण तारीख है ,क्योंकि यह कई महान हस्तियों की मृत्यु वर्षगांठ थीं ।किताबों और लेखकों को स्मरण करने के उद्देश्य से इस तारीख की घोषणा की गई।
शेक्सपीयर का निधन 23 अप्रैल 1616 को हुआ था।शेक्सपीयर एक ऐसे महान लेखक थे, जिनकी कृतियों का अनुवाद विश्व की अधिकतर भाषाओं में हुआ।शेक्सपीयर ने अपने जीवन काल में करीब 35 नाटक और 200 से अधिक कविताएं लिखीं।पाठक उन सभी महान हस्तियों को याद रखें, जिन्होंने अपने जीवनकाल में विश्व को कई प्रमुख, रचनाओं से नवाजा था।इसलिए 23 अप्रैल को विश्व पुस्तक दिवस मनाने का फैसला लिया गया।
कहते हैं किताब मनुष्य का सबसे अच्छा मित्र होता है।वह किसी भी परिस्थिति में इंसान का साथ नहीं छोड़ता है।विश्व पुस्तक दिवस पर हम उन महान लोगों को याद करते हैं, जिन्होंने अपनी लेखनी के माध्यम से दुनिया को एक नई राह दिखाई।पाठक उनकी रोचक कहानियों, कृतियों को पढ़कर एक नए रोमांच का अनुभव करते हैं.।पाठक प्रोत्साहित हों, इसी उद्देश्य से विश्व पुस्तक दिवस का आयोजन हर साल 23 अप्रैल को होता है।
यूनेस्को द्वारा 1995 में पहली बार 23 अप्रैल को विश्व पुस्तक दिवस मनाने का फैसला किया गया।क्योंकि, ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, विलियम शेक्सपियर, व्लादिमीर नबोकोव, मैमुएल सेजिया वैलेजो का जन्म और मृत्यु वर्षगाँठ, मीगुअल डी सरवेंटस (22 अप्रैल को मृत्यु और 23 अप्रैल को दफनाए गये), जोसेफ प्ला, इंका गारसीलासो डी ला वेगा का मृत्यु वर्षगाँठ और मैनुअल वैलेजो, मॉरिस द्रुओन और हॉलडोर लैक्सनेस का जन्म वर्षगाँठ होती हैं ।
स्पेन में प्रत्येक वर्ष 23 April के दिन अपने प्यार का इज़हार करने के लिए रोज डे को मनाया जाता हैं और इस दिन एक दुसरे को गुलाब का फूल देते और अपने प्यार का इज़हार करते हैं।
जब 1926 में स्पेन के विख्यात लेखकत मिगेल डे सरवांटिस (Miguel de Cervantes) का निधन हुआ था और उनकी याद में फूल की जगह लोगो में किताबें बांटी गईं और यहीं से विश्व पुस्तक दिवस को मनाने का लोगो में विचार आया।
संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) द्वारा World Book Day मनाने का फैसला लिया और पहला विश्व पुस्तक दिवस 23 अप्रैल, 1995 को मनाया गया और UNESCO ने 23 अप्रैल का दिन तय किया गया ।
पुस्तक की महत्ता सनातन युगों से चली आ रही है।
आज भी प्रासंगिक है और अनंत युगों तक प्रासंगिक रहेगी।
पुस्तकें ज्ञान पुंज हैं , ये जहाँ रहेगी, स्वत: ही वह स्थान स्वर्ग बन जाएगा!
पुस्तकों में युगों युगों की ज्ञान राशि संचित पड़ी है, तभी तो वेदों में कहा है-
“आ नो भद्रा: ऋतवो यन्तु विश्वत: “ अर्थात् विश्व के प्रत्येक कोने से शुभ विचार हमें प्राप्त हो।
इन्हीं पुस्तकों से हम आदिकवि बाल्मीकि, भास, पाणिनि, बाणभट्ट आदि के विषय एवं रचनाओं को जान सकते हैं।
इन्हीं से हम सुकरात, अरस्तू, प्लेटो आदि को जानते हैं।
इन्हीं से हम शेक्सपीयर, मिल्टन, कीट्स, मैथ्यू रोनाल्ड आदि को हम जानते हैं।
इन्हीं से हम सूर, तुलसी, रहीम, रसखान, मीरा, जायसी, कबीर, नानक, केशव, बिहारी, मतिराम, घनानन्द को जानते हैं।
किताबों का सदैव आदर होना चाहिए, अनादर की स्थिति में देश, समाज, सभ्यता, संस्कृति सब कुछ विनष्ट हो जाएगा।
-डॉ दक्षा जोशी ।