“वेदना वृक्ष की”
वृक्ष के सहारे खड़े खड़े
सोच रही हूँ मैं कि-
इधर कविताओं में कम पड़ते
जा रहे पेड़..!
कम होती जा रही वृक्षों पर
लिखी कविताएँ..!
वृक्षों को दु:ख है कि
उस कवि ने भी कभी
अपनी कविताओं में
उसका जिक्र नहीं किया!
जो हर रोज़ उसकी छाया में बैठ
लिखता रहा देश-दुनिया पर अपनी कविताएँ..!
वृक्षों को दु:ख है कि
उस हाथ ने काटे उसके हाथ
जिस हाथ ने कभी कोई
वृक्ष नहीं लगाए!
और मारे उसने उसके
सिर पर पत्थर,
जिसको अक़्सर अपनी बाँहों में वह झूलाता..!
देता रहा सबको वह
अपनी मिठास!
दु:खी हैं वृक्ष कि-
उस हाथ ने किए
उसके हाथ ज़ख़्मी
जिसके ज़ख़्मी हाथों पर
मरहम का लेप बन,
सोखता रहा वह उसकी पीड़ा!
दुःखी है वृक्ष कि-
उनका दु:ख कहीं दर्ज नहीं होता
और न ही अख़बारों में आदमी की तरह छपती हैं
उसकी हत्या की खबरें !
दु:खी है वृक्ष कि-
सब दिन सबका दु;ख बाँटने के बावजूद,
आज उसका दु:ख कोई नहीं बाँटता !
यहाँ तक कि उसकी छाया में बैठकर,
वर्षों पंचायती करने वालों ने भी
कभी उनकी पंचायती नहीं की !
धरती के श्रृंगार हैं वृक्ष ,
जीवन के आधार हैं वृक्ष ।
वृक्ष हमें छाया देते हैं,
स्वय शीत गर्मी सहते हैं!
बिना मुकुट के राजा हैं ये
कितने मनमोहक लगते हैं।
जंगल के परिवार वृक्ष हैं,
पंछी के घर बार वृक्ष हैं।
जहाँ वृक्ष हैं, शीतलता हैं
शीतलता से मेघ बरसते,
सूखी धरती हरियाती हैं
ताल-तलैया सारे भरते।
धरती के उपहार पेड़ हैं,
ख़ुशहाली के द्वार वृक्ष हैं।
स्वस्थ बनाते,श्रम हर लेते
हमें फूल, फल मेवे देते,
करते हैं सम्पन्न सभी को
पर न किसी से कुछ भी लेते।
करते नित उपकार पेड़ हैं,
सेवा के अवतार वृक्ष हैं।
धरती के श्रृंगार हैं वृक्ष ,
जीवन के आधार हैं वृक्ष ।
जंगल के परिवार वृक्ष हैं,
पंछी के घर बार वृक्ष हैं!
ताल-तलैया सारे भरते।
धरती के उपहार वृक्ष हैं,
जीवन का आधार वृक्ष हैं
धरती का श्रृंगार वृक्ष हैं!
मूल्यवान औषधियां देते
ऐसे दिव्य महान वृक्ष हैं!
देते शीतल छांव वृक्ष हैं
रोकें थकते पांव वृक्ष हैं !!
वृक्ष लगाओ वृक्ष बचाओ,
वृक्ष धरा की शान है,
वृक्षों से जीवन फले फूले,
वृक्ष धरती का अभिमान है।
कभी सताए धूप तुझे तो,
बन जाए तेरी छांव ये,
कभी लग जाए भूख तुझे तो,
बन जाए फलों का भंडार ये।
ख़ुद सोख प्रदूषण को,
प्राण वायु हमें ये देता है,
देकर हमें स्वच्छ जीवन,
हम से कुछ नहीं लेता है।
ना काट तु इस वृक्षों को,
इस पर धरा का संतुलन है,
बिना किसी स्वार्थ के,
ये हमें सब कुछ देता है।
वृक्षों से ही खिलता है जीवन,
भगवान का दीया वरदान है,
वृक्ष लगाओ वृक्ष बचाओ,
वृक्ष धरा की शान है।
-डॉ दक्षा जोशी
अहमदाबाद
गुजरात ।
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