आरंभ से ही मुझे यात्रा का अदम्य शौक़ रहा है । मेरा मानना है कि यात्रा करने से आपको नई संस्कृतियों, व्यंजनों, परिवहन के साधनों, मुहावरों, परंपराओं, और यहां तक कि आवश्यक होने पर भाषा की बाधाओं को दूर करने का मौक़ा मिलता है।
प्रत्येक राज्य एवं देश के मूल इतिहास के माध्यम से ज्ञान के द्वार खुलते हैं।
“सेवन सिस्टर्स स्टेट्स “में से तीन राज्य-आसाम, अरुणाचल, मेघालय तो हमने देख लिए थे । अबकी बार हम इन चार राज्यों में घूमे-त्रिपुरा,मिज़ोरम, मणिपुर,नागालैंड ।
मिज़ोरम-
मिज़ोरम पर्यटन स्थल भारत के पूर्व–उत्तर में स्थित एक ख़ूबसूरत राज्य है। मिज़ोरम भारत का सबसे छोटा राज्य है जिसका नाम अपने मूल जनजाति “मिजो” के नाम पर पड़ा हैं। मिज़ोरम नाम का मतलब ही “पहाड़ों की भूमि” होता है ।
मिज़ोरम पहाड़ों की भूमि होने के कारण बहुत ही आकर्षक राज्य है।
मिज़ोरम की राजधानी आइजोल के लेंगपुई एअरपोर्ट पर इस ILP को दिखाना जरुरी होता है। मिज़ोरम राज्य पर्यटन की दृष्टि से काफ़ी शानदार जगह है।
मिज़ोरम की कला और संस्कृति का सही नमूना यहाँ के दर्शनीय स्थलों पर घूमने के बाद ही पता चलता हैं। मिज़ोरम में कई ऐसी जगह हैं, जहाँ पर घूमने के बाद आपको बहुत सुकून और शांति का अनुभव होगा। मिज़ोरम को “सोंगबर्ड ऑफ़ इंडिया” के नाम से भी जाना जाता है ।मिज़ोरम को अपनी ख़ूबसूरत 21 पहाड़ी श्रृंखलाओं के लिए भी जाना जाता है ।
त्रिपुरा –
त्रिपुरा में हमने अगरतला स्टेट म्यूज़ियम, नीरमहल, मेलाघर,त्रिपुरा सुंदरी मंदिर,जियोलाजिकल पार्क,वाइल्डलाइफ़ सेन्चुरी,बांग्लादेश
बोर्डर आदि देखा।
आसाम में सिल्चर, ओनाकोटि, आइजोल जियोलाजिकल पार्क आदि की मुलाक़ात लीं।
आईजोल,, लालसुंगा पार्क,सोलोमेन्ट टेम्पल,फोकलैन्ड पार्क, गुरुद्वारा,हेरिटेज विलेज,मिज़ोरम स्टेट म्यूज़ियम,आइझोल जियोलाजिकल पार्क देखा ।
मणिपुर -इम्फ़ाल,लोकताक लेक आइलैंड,आंध्रो पार्क INA वोर मेमोरियल,कांगला फ़ोर्ट, वोर सेमेस्ट्री,इमा मार्केट खोंगजोम वोर मेमोरियल,,बर्मा- म्यानमार बोर्डर आदि देखा ।
नागालैंड -कोहिमा,वर्ल्ड वोर सेमेस्ट्री,केथरल चर्च, नागालैंड स्टेट म्यूज़ियम,माओ मार्केट,सुपर मार्केट आदि स्थानों का पर्यटन किया ।
त्रिपुरा-
इसकी सीमा दो राज्य असम और मिजोरम को छूती है।
यहाँ के पर्यटन स्थल में निम्न नाम प्रमुख हैं-
नीरमहल ,
कैलाशहर ,
जम्पुई हिल ,
हेरिटेज पार्क ,
उज्जयंत पैलेस ,
त्रिपुरा सुंदरी मंदिर ,
बाइसन राष्ट्रीय उद्यान , त्रिपुरा सिपाहीजाला वन्यजीव अभयारण्य ।
त्रिपुरा उत्तर-पूर्वी सीमा पर स्थित भारत का एक राज्य है। यह भारत का तीसरा सबसे छोटा राज्य है ।इसके उत्तर, पश्चिम और दक्षिण में बांग्लादेश स्थित है, जबकि पूर्व में असम और मिज़ोरम स्थित हैं। अनगिनत झीलें, अनूपम पर्वतीय सुंदरता, दूर तक फैली हरियाली इसे मनमोहक बनाती है। इस राज्य में झीलों की लंबी शृंखला है।
यह पूर्वोत्तर भारत का छोटा तथा सबसे मनोरम पहाड़ी प्रदेश है ।
क्षेत्रफल की दृष्टिकोण से यह राज्य भारत का दूसरा सबसे छोटा राज्य है।
हस्तशिल्प उद्योग विशेष कर बुनाई और हथकरघा उद्योग में यह अग्रणी राज्य है। यहाँ वेत की लकड़ी से बने ख़ूबसूरत कुर्सी व अन्य ढेरों समान मिलते हैं।
यहाँ के प्रमुख हस्ती में सचिन देव बर्मन, राहुल देब बर्मन और टैनिस खिलाड़ी सोमदेव देब बर्मन आदि हैं।
मणिपुर-
प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण मणिपुर का अपना एक प्राचीन एवं समृद्ध इतिहास है। इसका इतिहास पुरातात्विक अनुसंधानों, मिथकों तथा लिखित इतिहास से प्राप्त होता है। इसका प्राचीन नाम कंलैपाक् है। मणिपुर के नामकरण के सन्दर्भ में जहाँ पौराणिक कथाओं से उसका संबंध जोड़ा जाता है, वहीं प्राप्त तथ्यों से यह प्रमाणित होता है कि प्राचीन काल में पड़ोसी राज्यों द्वारा मणिपुर को विभिन्न नामों से पुकारा जाता था, जैसे बर्मियों द्वारा ‘कथे’, असमियों द्वारा ‘मोगली’, ‘मिक्ली’ आदि। इतिहास से यह भी पता चलता है कि मणिपुर को मैत्रबाक, कंलैपुं या पोंथोक्लम आदि नामों से भी जाना जाता है।यहां पहाड़ियां और जंगल इसकी ख़ूबसूरती में चार चांद लगाते हैं। मणिपुर में शहीद मीनार, आज़ाद हिंंद फ़ौज का मुख्यालय, कांगला किला, विष्णुपुर शहर समेत कई प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं।
मणिपुर के दर्शनीय स्थलों में से एक है महिलाओं का बाज़ार इमा कैथल ।इस बाज़ार को एशिया का सबसे बड़ा महिला बाज़ार कहा जाता हैं।
मणिपुर की राजधानी इम्फ़ाल-
मणिपुर की राजधानी इम्फाल एक ख़ूबसूरत शहर है। यह सुंदर मणिपुर घाटी के केंद्र में स्थित है और मैदानों व पहाड़ियों से घिरा हुआ है। इम्फाल पूर्वोत्तर भारत में घूमने के लिए सबसे प्रसिद्ध स्थानों में से एक है। घने जंगल और घास के मैदान इस जगह को धरती पर स्वर्ग बनाते हैं, साथ ही इम्फाल मणिपुर राज्य संग्रहालय, कांगले का महल और पोलो ग्राउंड जैसे प्रमुख आकर्षणों से घिरा हुआ है। मणिपुर के सबसे बड़े गंतव्यों में से एक, इंफाल ख़ूबसूरत झीलों और झरनों से सजा हुआ है। यहां आने के बाद आप मणिपुर के कई फेस्टिवल्स में भी शामिल हो सकते हैं।
नागालैंड-
नागालैंड में मैदानी क्षेत्र में कुछ कुकी, कछारी, गारो, मिकरी,बंगाली, और असमिया आदि लोगों को छोड़ कर लगभग पूरी तरह से नागा जनजातियों का वास है। नागा शब्द के उद्गम के संबंध में विद्वानों द्वारा विभिन्न मत व्यक्त किए गए हैं। कुछ का मानना है कि नागा शब्द संस्कृत शब्द नग्न से विकसित हुआ है जिसका अर्थ है नंगा। ऐसा इसलिए है क्योंकि नागा लोगों को लोक-प्रसिद्ध रूप से उनके वस्त्रों के अभाव से जाना जाता है। एक और मत है कि नागा शब्द नाग से आया ,जिसका अर्थ है साँप अथवा साँपों का राजा। पौराणिक कथाओं के अनुसार राजकुमारी उलूपी एक नाग कन्या थी अर्थात साँपों के राजा की बेटी। उलूपी का निवास स्थान सामान्यत: नागालैंड के दक्षिण-पश्चिम में चिह्नित किया जाता है। चूंकि यह क्षेत्र नागराज के अधीन था इसलिए यहाँ के लोगों को नागा के नाम से जाना जाता है |
ख़ूबसूरत वादियों के बीच, भारत के उत्तर पूर्वी क्षेत्र में बसी यह भूमि है विनम्र लोगों की, किसानों की, प्राकृतिक सौन्दर्य की, रोचक इतिहास और अदभूत संस्कृति की। यहाँ का वन्य जीवन तथा समृद्ध वनस्पति और मनमोहक प्रकृति आपको मोहित करने के लिए पर्याप्त है।
कोहिमा –
नागालैंड की राजधानी कोहिमा पूर्वोत्तर भारत की सबसे ख़ूबसूरत जगहों में से एक है। अपनी अछूती सुंदरता के लिए जाना जाने वाला यह स्थान, यहाँ आने वाले लोगों को मंत्रमुग्ध करता है। कोहिमा अंग्रेजों द्वारा दिया गया एक अंग्रेजी नाम है। कोहिमा का मूल नाम केविमा या केविरा था, जो केवी फूलों से आता है। ये फूल पहाड़ों में चारों ओर पाए जाते हैं। यह क्षेत्र कभी अंगामी जनजाति का निवास था। आज कोहिमा में नागालैंड के विभिन्न हिस्सों और अन्य पड़ोसी राज्यों के सभी जातियों के लोग यहाँ रहते हैं ।
दीमापुर-
दीमापुर, नागालैंड के सबसे बड़े और सबसे तेजी से बढ़ते शहर के रूप में जाना जाता है। शहर में स्थित हवाई अड्डे के कारण अधिकांश यात्री पारगमन में इस शहर में आते हैं। यहाँ के कुछ आकर्षणों में ट्रिपल फॉल्स, कचारी खंडहर, नागालैंड विज्ञान केंद्र और प्राणी उद्यान शामिल हैं।
मेरे लिए यह यात्रा इसलिए भी लाभदायक सिद्ध हुई कि यहां आकर मुझे त्रिपुरा युनिवर्सिटी , मणिपुर युनिवर्सिटी और दिमापूर-नागालैन्ड के एयरपोर्ट के हिन्दी विभाग के विद्वान प्राध्यापकों एवं राजभाषा अधिकारियों
के साथ विचार विमर्श करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
कुल मिलाकर यह यात्रा बहुत सुंदर एवं स्मरणीय रही।
- डॉ दक्षा जोशी
अहमदाबाद
गुजरात।