
मेरी कविता का शीर्षक है
“ गौरव गाथा हिन्दी की “
जन-जन की भाषा है हिंदी
भारत की आशा है हिंदी
जिसने पूरे देश को जोड़ा
वो मजबूत धागा है हिन्दी ।
“ हिन्द “ की गौरवगाथा हिंदी
एकता की परम्परा है हिंदी
जिसके बिना “ हिन्द “थम जाए
ऐसी जीवनरेखा है हिंदी
जिसने काल को जीत लिया है
ऐसी कालजयी है हिंदी
सरल शब्दों में कहा जाए तो
जीवन की परिभाषा है हिंदी…
हिंदी हमारी आन है
हिंदी हमारी शान है,
हिंदी हमारी चेतना
वाणी का शुभ वरदान है,
हिंदी हमारी वर्तनी
हिंदी हमारा व्याकरण,
हिंदी हमारी संस्कृति
हिंदी हमारा आचरण,
हिंदी हमारी आत्मा है
भावना का साज़ है,
हिंदी हमारे देश की –
आत्मा की आवाज़ है,
हिंदी हमारी अस्मिता
हिंदी हमारा मान है।,
हिंदी निराला, प्रेमचंद की
लेखनी का गान है,
हिंदी में बच्चन, पंत, दिनकर का मधुर संगीत है,
हिंदी में तुलसी, सूर, मीरा जायसी की तान है।,
जब तक गगन में चांद, सूरज की लगी बिंदी रहे,
तब तक वतन की राष्ट्रभाषा
ये अमर हिंदी रहे,
हिंदी हमारा शब्द,
स्वर ,व्यंजन अमिट पहचान है,
हिंदी हमारी चेतना वाणी का शुभ वरदान है।
विस्मृत जिसने इनको किया,
वो क्या विकसित हो पायेंगे,
जड़ से कटकर वृक्ष कभी
क्या हरे भरे रह पाएँगे
उठो जागो संकल्प करो,
विकसित करके निज भाषा को,
भारत की शान बढ़ायेंगे,
हिंदी भाषी कहलायेंगे
हिंदी भाषी कहलायेंगे।
-धन्यवाद ।
जय हिन्द, जय हिन्दी
-डॉ दक्षा जोशी , राजकोट, गुजरात ।
https://www.youtube.com/watch?v=jR_2nMtE4-A

https://www.youtube.com/watch?v=jR_2nMtE4-A