
” परिवार में रिश्तों का मूल्य”
परिवार में रिश्तों का मूल्य अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। संबंधों की मूलभूत भावनाएं, जैसे प्यार, समझदारी, सहयोग और विश्वास, परिवार के सदस्यों के बीच अच्छे रिश्तों को निर्माण करती हैं। ये संबंध आत्मविश्वास, संतुलन, एकजुटता और समृद्धि के अनुभव को भी बढ़ाते हैं।
परिवार के सदस्यों के बीच स्थायी संबंध न केवल उन्हें आनंददायक और मनोरंजक बनाते हैं, बल्कि वे अच्छी तरह से एक दूसरे का साथ देने के लिए भी तैयार होते हैं। इस तरह के संबंध जीवन के अनुभवों को साझा करते हैं और उन्हें संतुलित बनाते हैं।
इसलिए, संबंधों का मूल्य बहुत महत्वपूर्ण है और परिवार के सदस्यों के बीच स्वस्थ संबंध बनाए रखना जीवन के लिए आवश्यक है।
परिवार में आपसी आदर बहुत महत्वपूर्ण होता है। आपसी आदर के बिना, परिवार के सदस्यों के बीच संबंधों में जलजलाहट और तनाव बढ़ सकते हैं। जब हम अपने परिवार के सदस्यों का सम्मान करते हैं, तो उन्हें महसूस होता है कि हम उन्हें समझते हैं और हम एक दूसरे के साथ हैं। इससे परिवार में स्थिरता बनी रहती है।
आपसी आदर से संबंधों में तनाव कम होता है और अपने संबंधों में दृढ़ता आती है। इससे परिवार के सदस्यों के बीच संबंधों में विश्वास और समझदारी विकसित होती है और उनके बीच एक अधिक समझौते की भावना होती है।
इसलिए, परिवार में आपसी आदर का मूल्य अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह परिवार को एक स्थिर, समृद्ध और समन्वित वातावरण देता है जो हर सदस्य के अंतर्भाव विकास के लिए बहुत जरूरी है।
परिवार में एक दूसरे के साथ खुले मन से पेश आना एक बहुत ही महत्वपूर्ण गुण है। इससे परिवार के सदस्यों के बीच संबंधों में अधिक खुशहाली और समझौता पैदा होता है। जब हम अपने परिवार के सदस्यों के साथ खुले मन से बातें करते हैं, तो हम अपने भावों और विचारों को समझाते हैं और अपने संबंधों में समझदारी विकसित करते हैं।
खुले मन से पेश आना एक दूसरे के साथ संबंध बनाने का एक अहम माध्यम होता है। यह भी संभव होता है कि अगर हम अपने परिवार के सदस्यों के साथ खुले मन से बातें नहीं करते हैं, तो हम उनसे दूर हो जाते हैं और उनके साथ संबंध टूट जाते हैं।
जब हम अपने परिवार के सदस्यों के साथ खुले मन से बातें करते हैं, तो हम अपने संबंधों में विश्वास विकसित करते हैं और एक दूसरे के लिए कुछ भी कर गुजरने को तत्पर रहते हैं।
परिवार जनों के बीच
दूरी कई कारणों से पैदा हो सकती है। जैसे कि भ्रम, भीड़-भाड़, भावनाओं की अनुभूति की कमी, विभिन्न समय-अवधियों में अलग अलग शहरों या देशों में रहना या किसी विवाद या झगड़े के कारण। दूरी के इस समस्या का सामना करने के लिए –
समय निकालें: दूर रहने वाले परिवार के सदस्यों के बीच संबंध बनाए रखने के लिए समय निकालना बहुत महत्वपूर्ण होता है। उन्हें व्हाट्सएप, फेसबुक या स्काइप जैसे आधुनिक माध्यमों के जरिए जुड़े रहने के लिए आमंत्रित करें।
वास्तविक संपर्क: संभवतः आपके परिवार के सदस्य अलग-अलग शहरों या देशों में रहते हों, इसलिए समय-समय पर आप उन्हें अपने घर बुलाकर उनके साथ समय बिताने के लिए आमंत्रित कर सकते हैं।
विश्वास विकसित करें: आप उनके साथ संभाषण के लिए उन्हें शामिल कर सकते हैं ताकि आप दोनों एक दूसरे पर विश्वास कर सकें।
संगठित, स्नेहपूर्ण और समझदार परिवार जीवन बहुत महत्वपूर्ण होता है, लेकिन कभी-कभी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं, जो एक परिवार को टूटने की दिशा में ले जाती हैं। इसके लिए आवश्यक है –
संवाद का महत्व: अपने परिवार के सदस्यों के साथ नियमित तौर पर वार्तालाप करें। उनके साथ अपनी बात साफ़ साफ़ और संवेदनशीलता के साथ करें। इससे आप उनकी समस्याओं को समझेंगे और उनकी सहायता कर सकेंगे।
समाधान के लिए साथ काम करना: अपने परिवार के सदस्यों को एक साथ काम करने के लिए प्रोत्साहित करें। जो भी समस्याएं हों, उन्हें मिलकर संभालें। इससे सदस्यों के बीच एकजुटता बढ़ेगी और उन्हें एक दूसरे का साथ मिलेगा।
आपसी समझ के लिए समय निकालें: समय-समय पर अपने परिवार के सदस्यों के साथ समय बिताना बहुत महत्वपूर्ण है। आप उनके साथ घूमने जाएं, उनसे खाने-पीने का समय बिताएं और
परिवार के छोटे से छोटे सदस्य से लेकर बड़े से बड़े सदस्य सिर्फ़ अपने अधिकारों की बात भूल कर अपने फ़र्ज़ को समझें ।
अपने विचारों को दूसरों पर थोपने की कोशिश न करें ।
अपनी बनाई फ़्रेम से सभी को न देखें । परिवार जनों को अपनों से बड़े और छोटे लोगों के मन की बात समझनी चाहिए ।
अपने परिवार में बड़े- बुजुर्गों को समिचित प्रेम और आदर मिलना चाहिए ।
क्योंकि वे ख़ुद यही चाहते हैं कि परिवार जन उनके साथ समान उम्र वालों जैसा व्यवहार न करें ।
और कुछ नहीं चाहते वे।बिना किसी स्वार्थ से किया गया व्यवहार तो किसी अजनबी को भी पिघला देता है।
परिवार को एकजुट करने के लिए आवश्यकता है सभी परिवार जन एक दूसरे से ख़ुलकर बात करें । वर्ना परिवार को बिखरने में देर नहीं लगती ।
- डॉ दक्षा जोशी
गुजरात।