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गोपियों संग रास रचाये
कृष्ण कन्हैया बंसी बजाये
शरद की भीगी भीगी सी ख़ुशबू प्रेम का नया गीत जगाये!
चाँद सी सुंदर सजी राधिका
दीप जलाये दहलीज पर खड़ी पूरी करो उसके मन की मुराद प्रिय के इंतजार में वो सजी !
ख़ुबसूरत सा खिला हैं चाँद आसमान की रौनक है चाँद
पिय के नैनों में बसा हैं चाँद
शरद पूर्णिमा का हैं यह चाँद!
उजियारी शरद पूनम की रात में
राधा की, कान्हा से मुलाक़ात!
साहिल से टकराते दरिया की लहरों ने आज कर ली बात!
मानो जीवन की रवानी ने
ज़िंदगी से की मुलाक़ात!
सूरज के उजालों से दिन ने
रोशनी से की मुलाक़ात!
उजियारी शरद पूनम की रात में
राधा ने कान्हा से की मुलाकात !
-डॉ दक्षा जोशी ।