“आओ तिरंगा लहराये “
आओ तिरंगा लहराये
आओ तिरंगा फहराये;
अपना गणतंत्र दिवस है आया, झूमे, नाचे, ख़ुशी मनाये।
अपना 73 वाँ गणतंत्र दिवस ख़ुशी से मनाये !
देश पर कुर्बान हुए शहीदों पर श्रद्धा सुमन चढ़ाये ,
26 जनवरी 1950 को अपना गणतंत्र लागू था हुआ ,
भारत के पहले राष्ट्रपति,
डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने
झंड़ा था फहराया ।
मुख्य अतिथि के रुप में
सुकारनो को था बुलाया ,
थे जो इंडोनेशियन राष्ट्रपति, भारत के भी थे हितैषी!
था वो ऐतिहासिक पल हमारा, जिससे गौरवान्वित
हमारा भारत सारा।
विश्व के सबसे बड़े संविधान का ख़िताब हमने है पाया ,
पूरे विश्व में लोकतंत्र का
डंका हमने है बजाया !
इसमें बताये नियमों को
अपने जीवन में अपनाये,
थाम एक दूसरे का हाथ
आगे-आगे क़दम बढ़ाये।
आओ तिरंगा लहराये,
आओ तिरंगा फहराये,
अपना गणतंत्र दिवस है आया, झूमे, नाचे, ख़ुशी मनाये।
गणतंत्र दिवस है
प्रतीक स्वाभिमान का,
सद्भाव का, सद्बुद्धि का,
उस संविधान का,
जिसने सभी धर्मों का
नित किया है सम्मान
जो रखता है पूरा ध्यान
सबके उत्थान का!
जो दिखाता है पथ ,
हमें बढ़ने का साथ-साथ।
जिसकी भावना ने मज़बूत
किए हैं हमारे हाथ !
निःस्वार्थ प्रगति का दिया
जिसने जो मंत्र है,
उसके बल पे झेल सका
देश कई आघात!
स्वातंत्र्य और गणतंत्र दिवस
दिन वे निराले
स्वर्णाक्षरों में हैं
जिन्हें इतिहास सँभाले!
इनके लिए हर भारतीय के
मन में है सम्मान!
इसने ही दिए हमको
अंधेरों में उजाले!
फूले फले ,समृद्ध हो
गणतंत्र हमारा!
जिसने कि विश्व मंच पर
हमको है निखारा!
रहे राजनीति संयमित
सद्भाव में पगी,
देती रहे हर व्यक्ति को
मजबूत सहारा!
कोई न फँसे भंवर में
पा सके किनारा!
फूले फले ,समृद्ध हो
गणतंत्र हमारा।
आज नई सज-धज से
गणतंत्र दिवस फ़िर है आया ।
नव परिधान बसंती रंग का
माता ने है पहनाया ।
भीड़ बढ़ी स्वागत करने को
बादल झड़ी हैं लगाते ,
रंग-बिरंगे फूलों में
ऋतुराज खड़े हैं मुस्काते ।
धरती माँ ने धानी साड़ी
पहन श्रृंगार है सजाया ।
गणतंत्र दिवस फ़िरो है आया ।
भारत की इस अखंडता को,
तिलभर आंच न आने पाए।
हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई
मिलजुल इसकी शान बढ़ाएं।
युवा वर्ग सक्षम हाथों से,
आगे इसको सदा बढ़ाएं।
इसकी रक्षा में वीरों ने
अपना रक्त है बहाया ।
गणतंत्र दिवस फिर है आया !
आओ तिरंगा लहराये,
आओ तिरंगा फहराये!
अपना गणतंत्र दिवस है आया,झूमे,नाचे,ख़ुशी मनाये!
-डॉ .दक्षा जोशी ।